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Computer Fundamental

कंप्यूटर क्या है ?

     कंप्यूटर एक ऐसा Electronics Device है जो User द्वारा Input किए गए Data में Process करके Information को Output के रूप में प्रदान करता है, अर्थात कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करती है |

 

     आजकल इसका Use डाक्‍यूमेन्‍ट बनाने, E-mail, listening and Viewing, Audio and Video, Play Games, Web Browse, Document, Database & Preparation Creation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे- बैकों में, शैक्षणिक संस्‍थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग किया जा रहा है |

  • कंप्यूटर का जनक चार्ल्स बैबेज को माना जाता है |

  • कंप्यूटर का हिंदी नाम संगणक होता है |

 

कंप्यूटर कैसे कार्य करता है ?

     कंप्यूटर खुद से कोई कार्य नहीं करता है, कंप्‍यूटर को ठीक प्रकार से कार्य करने के लिये सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की आवश्‍यकता होती है। अगर सीधी भाषा में कहा जाये तो यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बिना हार्डवेयर सॉफ्टवेयर बेकार है और बिना सॉफ्टवेयर हार्डवेयर बेकार है। मतलब कंप्‍यूटर सॉफ्टवेयर को हार्डवेयर से Command दी जाती है,  की किसी सॉफ्टवेयर को कैसे कार्य करना है उसकी जानकारी सॉफ्टवेयर के अन्दर पहले से ही डाली गयी होती है। कंप्यूटर के सीपीयू से कई प्रकार के हार्डवेयर जुडे रहते हैं, ताकि कंप्यूटर सुचारू रूप से काम करे | जैसे- Keyboard, Mouse, Monitor & Speaker etc.

कंप्यूटर का full Form क्या होता है ? 

  • C - Commonly (सामान्यतः)

  • O - Operated (चलाने वाला)

  • M - Machine (यंत्र)

  • P- Particularly (विशेष रूप से)

  • U- Used (उपयोग किया गया) 

  • T - Technical (तकनीकी)

  • E - Educational (शिक्षा)

  • R - Research (अनुसंधान)

Computer System Concept ( कंप्यूटर की अवधारणा )

 

Hardware:- कंप्यूटर का वह भाग जिसे हम छू सकते हैं और देख सकते हैं वह हार्डवेयर कहलाते हैं, जैसे- कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर, स्केनर, मॉनिटर, सीपीयू, इत्यादि |

Software:- कंप्यूटर का वह भाग जिसे हम छू नहीं सकते सिर्फ देख सकते हैं वाह सॉफ्टवेयर कहलाते हैं, जैसे- NotePad, Paint, Word, Excel, Power Point, Photoshop, PageMaker, CorelDRAW इत्यादि |

User:- वह व्यक्ति जो कंप्यूटर को चलाता है या ऑपरेट करता है User कहलाते हैं |

Features of Computers (कंप्यूटर की विशेषता)

Speed (गति):- कंप्‍यूटर की गति को हर्ट्ज में मापा जाता है, कंप्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकंड्स, प्रति मिलिसेकंड्स, प्रतिमाइक्रो सेकंड्स, प्रति नेनोसेकंड्स ईत्यादी में की जाती है |

Accuracy (सटीकता):- कंप्यूटर कभी कोई गलती नहीं करता है, कंप्यूटर अगर कोई गलती करता है तो इसका मतलब है की हमने कोई गलत एंट्री की है अथवा प्रोग्राम बनाने में कोई गलती की गई है|

 

Automation (स्वचलित):- कंप्‍यूटर को एक बार निर्देश देने पर जब तक कि कार्य पूरा नहीं हो जाता है, वह स्वचलित (Automation) रूप से बिना रूके कार्य करता रहता है | जैसे- Command देने पर में 100 कॉपी प्रिंट आउट करना |

Storage (भंडारण क्षमता):- कम्प्यूटर में प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है।

 

Secrecy (गोपनीयता):- पासवर्ड के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख या बदल सकता है।
 

Power of remembrance (स्मरण की शक्ति):- मनुष्य अपने भाग-दौड़ भरे जीवन में बहुत सारी बातें भूल जाते हैं, लेकिन कंप्यूटर  सभी डाटा को मेमोरी के अंदर स्टोर करके रखता है तथा आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराता है |

Diligence (कर्मठता):- मनुष्य किसी कार्य को लगातार करते कुछ ही देर में थक जाते हैं, लेकिन कंप्यूटर लगातार कई घंटों, दिनों, महीनों & सालों तक बिना गलती किए निरंतर कार्य करता रहता है |

Limitations of Computer (कंप्यूटर की सीमाएं)

Lack of Intelligence (बुद्धिमता की कमी) :- 

कम्प्यूटर एक मशीन है । उसमें मनुष्‍‍‍य के समान बुद्धिमता (Intelligence) नहीं है, यह केवल यूजर द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करता हैं|

 

Lack of Common Scence (सामान्य बोध की कमी):-

कंप्‍यूटर कभी कोई गलती नहीं करता है, लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर जो भी चाहे सही या गलत काम में इस्तेमाल कर सकता है | क्योंकि Computer को Common Scene नहीं होता है |

Upgrade and Update (अपग्रेड और अपडेट) :- 

कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसे समय समय पर अपग्रेड और अपडेट करना पड़ता है, यदि ऐसा नहीं किया तो कंप्‍यूटर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पाता है |

Virus threat वायरस से खतरा :- 

कंप्‍यूटर को हमेशा वायरस का खतरा बना रहता है,  अगर एक बार वायरस आ गया तो ऑपरेटिंग सिस्‍टम के साथ उसमें सुरक्षित फाइलों को भी नुकसान पहॅुचा सकता है |

-:Types of Computer (कंप्यूटर के प्रकार):-

Computer को तीन आधारों पर वर्गीकृत किया गया हैं|-

 

  1. Based on Mechanism (कार्यप्रणाली के आधार पर)

  2. Based on Purpose (उद्देश्य के आधार पर)

  3. Based on Size (आकार के आधार पर)

 

   1. Based on Mechanism (कार्यप्रणाली के आधार पर)

कार्यप्रणाली के आधार पर इन्हें तीन भागो Analog Computer, Digital Computer, and Hybrid Computer में वर्गीकृत किया गया हैं|

 

Analog Computer:-

Analog Computer वे Computer होते है जो भौतिक मात्राओ, जैसे- दाब (Pressure), तापमान (Temperature), लम्बाई (Length), ऊचाई (Height) आदि को मापकर उनके परिमाप अंको में व्यक्त करते है | जैसे- पेट्रोल पंप से निकलता तेल की गति, बारिश की गति, थर्मामीटर से तापमान तथा वायु की गति इत्यादि को नाप कर उसे स्क्रीन पर दिखाता है  |

Digital Computer:-

Digit का अर्थ होता है अंक | अर्थात Digital Computer वह Computer होता है जो अंको कि गणना करता है, डिजिटल कंप्यूटर डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके उसको इलेक्ट्रॉनिक रूप में ले जाते है। इसका उपयोग व्यापार चलाने, घर का वजट तैयार करने के लिए किया जाता है |

Hybrid Computer:-

Hybrid Computer का अर्थ है अनेक गुण धर्मो वाला होना | अत: वे Computer जिनमे Analog Computer or Digital Computer दोनों के गुण हो Hybrid Computer कहलाते है जैसे- पेट्रोल पम्प की मशीन भी एक Hybrid Computer हैं|

 

   2. Based on Purpose (उद्देश्य के आधार पर)

Computer को उद्देश्य के आधार पर दो भाग Special Purpose और General Purpose में वर्गीकृत किया गया हैं|

Special Purpose:-

Special Purpose Computer ऐसे Computer है जिन्हें किसी विशेष कार्य के लिये तैयार किया जाता है इनके C.P.U. की क्षमता उस कार्य के अनुरूप होती है जिसके लिये इन्हें तैयार किया जाता हैं | जैसे- अन्तरिक्ष विज्ञान, मौसम विज्ञान, उपग्रह संचालन, अनुसंधान एवं शोध, यातायात नियंत्रण, कृषि विज्ञान, चिकित्सा आदि |

General Purpose:-

General Purpose Computer ऐसे Computer है जिन्हें सामान्य उद्देश्य के लिये तैयार किया गया है इन Computer में अनेक प्रकार के कार्य करने कि क्षमता होती है इनमे उपस्थित C.P.U. की क्षमता तथा कीमत कम होती हैं | इन Computers का प्रयोग सामान्य कार्य हेतु किया जाता है | जैसे- पत्र (Letter) तैयार करना, दस्तावेज (Document) तैयार करना, Document को प्रिंट करना आदि के लिए किया जाता हैं |

    3. Based on Size (आकार के आधार पर)

Computer को आकार के आधार पर हम निम्न श्रेणियों में बाँट सकते है –

Micro Computer:-

इस Computer को Micro Computer दो कारणों से कहा जाता है पहला इस Computer में Micro Processor का प्रयोग किया जाता है, दूसरा यह Computer दूसरे Computer कि अपेक्षा आकार में छोटा होता है | Micro Computer आकार में इतना छोटा होता है कि इसको एक Study Table अथवा एक Briefcase में रखा जा सकता हैं | यह Computer सामान्यतः सभी प्रकार के कार्य कर सकता है, इसकी कार्य प्रणाली तो लगभग बड़े कंप्यूटर्स के सामान ही होती है | परन्तु इसका आकार उनकी तुलना में कम होता हैं इस Computer पर सामान्यतः एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता हैं |

 

Mini Computer:-

Micro Computer से कुछ अधिक गति और मेमोरी वाले Computer Mini Computer कहलाते है, इनमे एक से अधिक C.P.U. हो सकते है और ये Micro Computer से महँगे होते हैं | मिनी Computer का उपयोग यातायात में यात्रियों के लिये आरक्षण-प्रणाली का संचालन और बैंकिंग कार्यों के लिये किया जाता हैं |

Main Frame Computer:-

यह कंप्यूटर Mini Computer से कुछ अधिक गति और क्षमता वाले होते है, ये Computer आकार में बहुत बड़े होते है | इनमे अत्यधिक मात्रा के Data पर तीव्रता से Process करने कि क्षमता होती है | इसीलिए इसका उपयोग बड़ी कंपनियों, बैंको, रेल्वे आरक्षण, सरकारी विभाग द्वारा किया जाता हैं |

 

Super Computer:-

ये सबसे अधिक गति वाले Computer और अधिक क्षमता वाले Computer हैं, इनमे एक से अधिक C.P.U. लगाये जा सकते है और एक से अधिक व्यक्ति एक साथ कार्य कर सकते हैं | ये Computer सबसे महँगे होते है और आकार में बहुत बड़े होते हैं |

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-:कंप्यूटर के भाग:-

 

1. Input Device

Input Device वे Device होते है जिनके द्वारा हम अपने डाटा या निर्देशों को Computer में Input करा सकते हैं| Computer में कई Input Device होते है ये Devices Computer के मस्तिष्क को निर्देशित करती है की वह क्या करे? Input Device कई रूप में उपलब्ध है तथा सभी के विशिष्ट उद्देश्य है टाइपिंग के लिये हमारे पास Keyboard होते है, जो हमारे निर्देशों को Type करते हैं|

“Input Device वे Device है जो हमारे निर्देशों या आदेशों को Computer के मष्तिष्क, सी.पी.यू. (C.P.U.) तक पहुचाते हैं|”

Input Device कई प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार है –

  1. Keyboard

  2. Mouse

  3. Joystick

  4. Trackball

  5. Light pen

  6. Touch screen

  7. Digital Camera

  8. Scanner

  9. Digitizer Tablet

  10. Bar Code Reader

  11. OMR

  12. OCR

  13. MICR

  14. ATM etc.

2. C.P.U. (Central Processing Unit)

C.P.U का पूरा नाम सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) हैं| इसका हिंदी नाम केन्द्रीय संसाधन इकाई होता हैं| यह Computer का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता हैं| अर्थात इसके बिना Computer सिस्टम पूर्ण नहीं हो सकता है, इससे सभी Device जुड़े हुए रहते है जैसे- Keyboard, Mouse, Monitor आदि | इसे Computer का मष्तिस्क (Mind) भी कहते है| इसका मुख्य कार्य प्रोग्राम (Programs) को क्रियान्वित (Execute) करना है इसके आलावा C.P.U Computer के सभी भागो, जैसे- Memory, Input, Output Devices के कार्यों को भी नियंत्रित करता हैं|

C.P.U (Central Processing Unit) के तीन भाग होते है –

 

  1. A.L.U.

  2. Memory

  3. C.U.

A.L.U (Arithmetic Logic Unit)

एरिथ्मेटिक एवं लॉजिक यूनिट को संक्षेप में A.L.U  कहते हैं| यह यूनिट डाटा पर अंकगणितीय क्रियाएँ (जोड़, घटाना, गुणा, भाग) और तार्किक क्रियायें (Logical operation) करती हैं| A.L.U Control Unit से निर्देश लेता हैं| यह मेमोरी (memory) से डाटा को प्राप्त करता है तथा Processing के पश्चात सूचना को मेमोरी में लौटा देता हैं| A.L.U के कार्य करने की गति (Speed) अति तीव्र होती हैं| यह लगभग 1000000 गणनाये प्रति सेकंड (Per Second) की गति से करता हैं| इसमें ऐसा इलेक्ट्रॉनिक परिपथ होता है जो बाइनरी अंकगणित (Binary Arithmetic) की गणनाएँ करने में सक्षम होता हैं|

Memory

यह Input Device के द्वारा प्राप्त निर्देशों को Computer में संग्रहण (Store) करके रखता है इसे Computer की याददाश भी कहाँ जाता है| मानव में कुछ बातों को याद रखने के लिये मष्तिस्क होता है, उसी प्रकार मेमोरी (Memory) हैं| यह मेमोरी C.P.U का अभिन्न अंग है, यह एक संग्राहक उपकरण (Storage Device) हैं| अतः इसे Computer की मुख्य मेमोरी (Main memory), आंतरिक मेमोरी (Internal Memory), या प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) भी कहते हैं|

“Computer का वह स्थान जहाँ सभी सूचनाओ, आकडों या निर्देशों को Store करके रखा जाता है मेमोरी कहलाती हैं|”

C.U. (Control Unit)

C.U. का पूरा नाम कंट्रोल यूनिट (Control Unit) होता हैं| C.U. हार्डवेयर कि क्रियाओ को नियंत्रित और संचालित करता हैं| यह Input, Output क्रियाओ को नियंत्रित (Control) करता है साथ ही Memory और A.L.U. के मध्य डाटा के आदान प्रदान को निर्देशित करता है यह प्रोग्राम (Program) को क्रियान्वित करने के लिये निर्देशों को मेमोरी से प्राप्त करता हैं| निर्देशों को विधुत संकेतों (Electric Signals) में परिवर्तित करके यह उचित डीवाइसेज तक पहुचाता हैं|

3. Output Device

Output Device वे Device होते है जो User द्वारा इनपुट किये गए डाटा को Result के रूप में प्रदान करते हैं |

Output Device के द्वारा कंप्यूटर से प्राप्त परिणामो (Result) को प्राप्त किया जाता है इन परिणामों को प्राय: डिस्प्ले डीवाइसेज (स्क्रीन) या प्रिंटर के द्वारा User को प्रस्तुत किया जाता हैं| मुख्य रूप से Output के रूप में प्राप्त सूचनाएं या तो हम स्क्रीन पर देख सकते है या प्रिंटर से पेज पर प्रिंट कर सकते है या संगीत सुनने के लिये आउटपुट के रूप में स्पीकर का उपयोग कर सकते हैं | 

Output Device कई प्रकार के होते है जैसे-

 

  • Monitor

  • Printer

  • Plotter

  • Projector

  • Sound Speaker

-:कंप्यूटर मेमोरी क्या हैं और उसके प्रकार:-

What is Memory (मेमोरी क्या हैं?)

यह Device Input Device के द्वारा प्राप्त निर्देशों को Computer में संग्रहण (Store) करके रखता है इसे Computer की याददाश्त भी कहाँ जाता है| मानव में कुछ बातों को याद रखने के लिये मष्तिस्क होता है, उसी प्रकार Computer में डाटा को याद रखने के लिए मेमोरी (Memory)  होती हैं| यह मेमोरी C.P.U का एक अंग है, इसे Computer की मुख्य मेमोरी (Main memory), आंतरिक मेमोरी (Internal Memory), या प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) भी कहते हैं|

“किसी भी निर्देश, सूचना, अथवा परिणामों को स्टोर करके रखना मेमोरी कहलाता हैं|”

कंप्यूटरो में एक से अधिक मेमोरी होती है हम उनको सामान्यतः प्राथमिक (Primary) व द्वितीयक (Secondary) मेमोरी के रूप में वर्गीकृत कर सकते है  प्राथमिक मेमोरी अस्थिर (Volatile) तथा स्थिर (Non-Volatile) दोनों प्रकार कि होती है| अस्थिर मेमोरी (Temprery Memory) डेटा को अस्थाई रूप से कंप्यूटर ऑन होने से लेकर कंप्यूटर बंद होने तक ही रखते है अर्थात कंप्यूटर अचानक बंद होने या बिजली के जाने पर कंप्यूटर से डाटा नष्ट हो जाता है स्थिर मेमोरी (Permanent Memory) आपके कंप्यूटर को प्रारंभ करने में सहायक होती हैं| इसमें कुछ अत्यंत उपयोगी फर्मवेयर होते है जो कंप्यूटर को बूट करने में मदद करते है बूटिंग कंप्यूटर को शुरू करने कि प्रक्रिया को कहा जाता है इसे मुख्य मेमोरी कहा जाता हैं| द्वितीयक संग्रहण वह है जो हमारे डाटा को लंबे समय तक रखता है द्वितीयक संग्रहण कई रूपों में आते हैं| फ्लोपी डिस्क, हार्ड डिस्क, सी.डी. आदि |

Bit & Byte (बिट अथवा बाइट)

मेमोरी में स्टोर किया गया डाटा 0 या 1 के रूप में परिवर्तित हो जाता है 0 तथा 1 को संयुक्त रूप से बाइनरी डिजिट कहा जाता हैं| संक्षेप में इन्हें बिट भी कहा जाता हैं| यह बिट कंप्यूटर कि मेमोरी में घेरे गे स्थान को मापने की सबसे छोटी इकाई होती हैं|

8 Bits = 1 Bytes

1024 Bytes = 1 Kilobyte (1 KB)

1024 KB = 1 Megabyte (1MB)

1024 MB = 1 Gigabyte (1 GB)

1024 GB = 1 Terabyte (1 TB)

मेमोरी के प्रकार (Types of Memory)

  1. प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)

  2. सेकंडरी मेमोरी (Secondary Memory)

 

1. प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)

Memory कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जहाँ डाटा, सूचना, एवं प्रोग्राम प्रक्रिया के दौरान उपस्थित रहते है और आवश्यकता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध रहते है यह मेमोरी अस्थिर मेमोरी होती है क्योकि इसमें लिखा हुआ डाटा कंप्यूटर बंद होने या बिजली के जाने पर मिट जाता है प्राइमरी मेमोरी कहलाती हैं| इसे प्राथमिक मेमोरी या मुख्य मेमोरी भी कहते हैं|

 

प्राइमरी मेमोरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है –

  (A) रैम (RAM)

  (B) रोम (ROM)

(A) RAM (Random Access Memory)

RAM  या Random Access Memory कंप्यूटर की अस्थाई मेमोरी (Temprery Memory) होती हैं| की-बोर्ड या अन्य किसी इनपुट डिवाइस से इनपुट किया गया डाटा प्रक्रिया से पहले रैम में ही संगृहीत किया जाता है और सी.पी.यू. द्वारा आवश्यकतानुसार वहाँ से प्राप्त किया जाता है रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से संगृहीत रहता है कंप्यूटर बंद हो जाने या विजली चले जाने पर रैम में संगृहीत (Store) डाटा मिट जाता हैं| इसलिए रैम को Volatile या अस्थाई मेमोरी कहते है रैम की क्षमता या आकार कई प्रकार के होते है जैसे कि- 4 MB, 8 MB, 16 MB, 32 MB, 64 MB, 128 MB, 256 MB आदि |

रैम तीन प्रकार कि होती हैं|

  • Dynamic RAM

  • Synchronous RAM

  • Static RAM

Dynamic RAM

Dynamic RAM को संक्षिप्त में डीरैम (DRAM) कहा जाता हैं| रैम (RAM) में सबसे अधिक साधारण डीरैम (DRAM) है तथा इसे जल्दी जल्दी रिफ्रेश (Refresh) करने कि आवश्यकता पड़ती हैं| रिफ्रेश का अर्थ यहाँ पर चिप को विधुत अवशेषी करना होता है यह एक सेकंड में लगभग हजारों बार रिफ्रेश होता है तथा प्रत्येक बार रिफ्रेश होने के कारण यह पहले कि विषय वस्तु को मिटा देती है इसके जल्दी जल्दी रिफ्रेश होने के कारण इसकी गति (Speed) कम होती हैं|

Synchronous RAM

Synchronous RAM  डीरैम(DRAM) कि अपेक्षा ज्यादा तेज हैं| इसकी तेज गति का कारण यह है कि यह सी.पी.यू. की घडी कि गति के अनुसार Refresh होती हैं| इसीलिए ये डीरैम कि अपेक्षा डाटा (Data) को तेजी से स्थानांतरित (Transfer) करता हैं|

Static RAM

Static RAM ऐसी रैम है जो कम रिफ्रेश होती हैं| कम रिफ्रेश (Refresh) होने के कारण यह डाटा को मेमोरी में अधिक समय तक रखता हैं| डीरैम की अपेक्षा एस-रैम तेज तथा महँगी होती हैं|

 

(B) ROM (Read only memory)

रोम का पूरा नाम रीड ऑनली मेमोरी होता हैं| यह स्थाई मेमोरी (Permanent memory) होती है जिसमे कंप्यूटर के निर्माण के समय प्रोग्राम Store कर दिये जाते हैं| इस मेमोरी में Store प्रोग्राम परिवर्तित और नष्ट नहीं किये जा सकते है, उन्हें केवल पढ़ा जा सकता हैं| इसलिए यह मेमोरी रीड ऑनली मेमोरी कहलाती हैं| कंप्यूटर का स्विच ऑफ होने के बाद भी रोम में संग्रहित डाटा नष्ट नहीं होता हैं| अतः रोम नॉन-वोलेटाइल या स्थाई मेमोरी कहलाती हैं|

रोम के विभिन्न प्रकार होते है जो निम्नलिखित है –

  • PROM (Programmable Read Only Memory)

  • EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)

  • EEPROM (Electrical Programmable Read Only Memory)

PROM

PROM का पूरा नाम Programmable Read Only Memory होता है यह एक ऐसी मेमोरी है इसमें एक बार डाटा संग्रहित (Store) होने के बाद इन्हें मिटाया नहीं जा सकता और न ही परिवर्तन (Change) किया जा सकता हैं|

EPROM

EPROM का पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory होता है यह प्रोम (PROM) की तरह ही होता है लेकिन इसमें संग्रहित प्रोग्राम (Store Program) को पराबैगनी किरणों (Ultraviolet rays) के द्वारा ही मिटाया जा सकता है और नए प्रोग्राम संग्रहित (Store) किये जा सकते हैं|

EEPROM

EEPROM का पूरा नाम Electrical Programmable Read Only Memory होता हैं| एक नई तकनीक इ-इप्रोम (EEPROM) भी है जिसमे मेमोरी से प्रोग्राम को विधुतीय विधि से मिटाया जा सकता हैं|

2. सेकंडरी मेमोरी (Secondary Memory)

 

सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) को अलग से जोडा जाता है और यह स्‍टोरेज के काम आती है इसमें जो डाटा स्टोर किया जाता है वह अस्थाई होता है अर्थात कंप्यूटर बंद होने पर इसमें स्टोर डाटा डिलीट नहीं होता है आवश्यकता के अनुसार इस को भविष्य में इसमें सेव  किये गए  फाइल या फोल्डर को खोल कर देख सकते हैं, या इसमें सुधार कर सकते हैं एवं डिलीट भी किया जा सकता है | प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory) के अपेक्षा इसकी गति कम होती है लेकिन इसकी Storage क्षमता प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory) अधिक होती है और जरूरत पडने पर इसे अपग्रेड (घटाया या बढाया) किया जा सकता है | 

 

सेकेंडरी मेमोरी के प्रकार  -

  • मैग्नेटिक/चुम्बकीय टेप (Magnetic Tape)

  • मैग्नेटिक/चुम्बकीय डिस्क (Megnetic Disk)

  • ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk)

  • यूऍसबी फ्लैश ड्राइव (USB Flash Drive)

1. मैग्नेटिक/चुम्बकीय टेप (Magnetic Tape)

यह देखने में किसी पुराने जमाने के टेप रिकार्डर की कैसेट की तरह होती थी, इसमें प्‍लास्टिक के रिबन पर चुम्बकीय पदार्थ की परत चढी होती थी, जिस पर डाटा स्‍टोर करने के लिये हेड का प्रयोग किया जाता था बिलकुल टेप रिकार्डर की तरह, इस डाटा का कितनी बार लिखा और मिटाया जा सकता था और यह काफी सस्‍ते होते थे |

2. मैग्नेटिक/चुम्बकीय डिस्क (Megnetic Disk)

     मैग्नेटिक/चुम्बकीय डिस्क (Megnetic Disk) दो प्रकार की होती हैं -

  • फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk)

  • हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive)

फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) -

फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) के बहुत पतले प्‍लास्टिक की एक गोल डिस्‍क होती है जो एक प्‍लास्टिक के कवर में बंद रहती थी, इस डिस्‍क पर चुम्बकीय पदार्थ की परत चढी होती थी, फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) आकार एवं और स्‍टोरेज के आधार पर दो प्रकार की होती है -

मिनी फ्लॉपी (Mini Floppy) -

मिनी फ्लॉपी (Mini Floppy) का व्‍यास (Diameter) 3½ इंच होता है और इसकी स्‍टोरेज क्षमता 1.44 MB होती है इसे कंप्‍यूटर में रीड करने के लिये 3½ इंच के फ्लॉपी डिस्क रीडर (Floppy disk reader) की आवश्‍यकता होती है, यह लगभग 360 RPM यानि Revolutions Per Minute यानि चक्‍कर/घूर्णन प्रति मिनट की दर से घूमती है |

माइक्रो फ्लॉपी (Micro Floppy) - माइक्रो फ्लॉपी (Micro Floppy) का व्‍यास (Diameter) 5½ इंच होता है और इसकी स्‍टोरेज क्षमता 2.88 MB होती है, इसके भी 5½ इंच के फ्लॉपी डिस्क रीडर (Floppy disk reader) की आवश्‍यकता होती है

नोट - कंप्‍यूटर में "ए" और "बी" ड्राइव का इस्‍तेमाल फ्लॉपी डिस्क के लिये ही होता था और आज भी वर्तमान में "A" और "B" ड्राइव फ्लॉपी डिस्क के लिये ही Reserveरहती है, हालांकि इसका प्रयोग बिलकुल बंद हो चुका है

नोट - कंप्‍यूटर में "ए" और "बी" ड्राइव का इस्‍तेमाल फ्लॉपी डिस्क के लिये ही होता था और आज भी वर्तमान में "A" और "B" ड्राइव फ्लॉपी डिस्क के लिये ही Reserveरहती है, हालांकि इसका प्रयोग बिलकुल बंद हो चुका है

 

हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive)

हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive) के निर्माता IBM हैं, जिसे 1980 में बनाया गया, यह एक यह एलुमिनियम धातु की डिस्क होती है जिस पर पदार्थ का लेप चढा रहता है, यह डिस्‍क एक धुरी पर बडी तेजी से घूमती है और इसकी गति को RPM यानि Revolutions Per Minute यानि चक्‍कर/घूर्णन प्रति मिनट में मापा जाता है, आजतक बाजार में 5200 RPM और 7200 RPM वाली हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive) उपलब्‍ध है, हार्डडिस्‍क ड्राइव में Track और Sector में डाटा स्टोर होता है. एक सेक्टर में 512 बाईट डाटा स्टोर होता है, 80 के दशक में आयी हार्डडिस्‍क ड्राइव जिसके पहले पार्टीशन को नाम दिया गया "C" ड्राइव और आज जब आप विंडोज इंस्‍टॉल करते हो तो वह सबसे पहले "C" ड्राइव में ही इंस्‍टाॅल होती है। अगर स्‍टोरेज की बात करें ताे हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive) को प्रमुख सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) के तौर पर इस्‍तेमाल किया जाता है वर्तमान में 1 टैराबाइट से लेकर 100 टैराबाइट तक की हार्ड डिस्‍क उपलब्‍ध हैं |

3. ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk)

ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk) में पॉली कार्बोनेट की गोल डिस्‍क होती है, जिस पर एक रासायनिक पदार्थ का लेप रहता है ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk) डेटा डिजिटली रूप में सुरक्षित रहता है, डाटा को ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk) पर रीड और राइट करने के लिये कम क्षमता वाले लेजर प्रकाश का प्रयोग किया जाता है  ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk) तीन प्रकार की होती है -

  1. सीडी (CD)

  2. डीवीडी ड्राइव (DVD)

  3. ब्लू रे (Blu Ray)

सीडी (CD)

सीडी (CD) का पूरा नाम कॉम्‍पेट डिस्‍क है, इसकी क्षमता हार्डडिस्‍क से कम और फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) से ज्‍यादा होती है, इसमें कुछ 700MB डाटा को स्‍टोर किया जा सकता है, इसमें डाटा लगभग 30 वर्षो तक सुरक्षित रह सकता है, लेकिन इसकी सतह पर स्‍क्रैच आने पर डाटा को रीड और राइट करने में परेशानी होती है

डीवीडी (DVD)

सीडी (CD) की अपेक्षा डीवीडी (DVD) यानी डिजिटल वर्सटाइल डिस्‍क की स्‍टोरेज क्षमता बहुत अधिक होती है, लेकिन देखने में यह दोनों एक जैसी ही लगती है डीवीडी (DVD)की स्‍टोरेज क्षमता करीब 4.7 जीबी से लेकर 17 जीबी तक होती है, लेकिन स्‍क्रेच वाली समस्‍या यहां भी है

 

ब्लू रे (Blu Ray)

ब्लू रे (Blu Ray) देखने में CD और DVD की तरह ही होती है लेकिन इसको रीड और राइट करने के लिये जिसे लेजर प्रकाश का प्रयोग किया जाता है वह नीले रंग-जैसी बैंगनी किरण होती है इसलिये इसे ब्लू रे (Blu Ray) कहा जाता है, इस प्रकाश की वजह से ब्‍लूरे डिस्‍क पर 50 जीबी तक डाटा स्‍टोर किया जाता सकता है

 

4- यूऍसबी फ्लैश ड्राइव (USB Flash Drive)

यह वर्तमान की सबसे पॉपुलर और पोर्टबल सेकेंडरी मेमोरी डिवाइस है जो USB पोर्ट के माध्यम से कंप्यूटर से जोड़ी जाती है जिसे हम पेन ड्राइव के नाम से भी पुकारते है, इसका प्रयोग वीडियो, ऑडियो के अलावा अन्‍य डेटा को सेव करने के लिए किया जाता है |

की-बोर्ड (Keyboard)

की-बोर्ड कंप्यूटर का एक पेरिफेरल है जो आंशिक रूप से टाइपराइटर के की-बोर्ड की भांति होता हैं| की-बोर्ड को टेक्स्ट तथा कैरेक्टर इनपुट करने के लिये डिजाइन किया गया हैं| भौतिक रूप से, कंप्यूटर का की-बोर्ड आयताकार होता हैं| इसमें लगभग 108 Keys होती हैं| की-बोर्ड में कई प्रकार की कुंजियाँ (Keys) होती है जैसे- अक्षर (Alphabet), नंबर (Number), चिन्ह (Symbol), फंक्शन की (Function Key), एर्रो की (Arrow Key) व कुछ विशेष प्रकार की Keys भी होती हैं|

 

 हम की-बोर्ड की संरचना के आधार पर इसकी कुंजियो को छ: भागो में बाँट सकते है-

  1. एल्फानुमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric Keys)

  2. न्यूमेरिक की-पैड (Numeric Keypad)

  3. फंक्शन की (Function Keys)

  4. विशिष्ट उददेशीय कुंजियाँ (Special Purpose Keys)

  5. मॉडिफायर कुंजियाँ (Modifier Keys)

  6. कर्सर कुंजियाँ (Curser Keys)

  7. एल्फानुमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric Keys)

 

एल्फानुमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric Keys)

Alphanumeric Keys में Alphabets (A-Z), Number (0-9), Symbol (@, #, $, %, ^, *, &, +, !, = ), होते हैं| इस खंड में अंको, चिन्हों, तथा वर्णमाला के अतिरिक्त चार कुंजियाँ Tab, Caps, Backspace तथा Enter कुछ विशिष्ट कार्यों के लिये होती हैं|

 

न्यूमेरिक की-पैड (Numeric Keypad)

न्यूमेरिक की-पैड (Numeric Keypad) में लगभग 17 कुंजियाँ होती हैं| जिनमे 0-9 तक के अंक, गणितीय ऑपरेटर (Mathematics operators) जैसे- +, -. *, / तथा Enter key होती हैं |

  

फंक्शन की (Function Keys)

की-बोर्ड के सबसे ऊपर संभवतः ये 12 फंक्शन कुंजियाँ होती हैं| जो F1, F2……..F12 तक होती हैं| ये कुंजियाँ निर्देशों को शॉट-कट के रूप में प्रयोग करने में सहायक होती हैं| इन Keys के कार्य सॉफ्टवेयर के अनुरूप बदलते रहते हैं|

 

विशिष्ट उददेशीय कुंजियाँ (Special Purpose Keys)

ये कुंजियाँ कुछ विशेष कार्यों को करने के लिये प्रयोग की जाती है| जैसे- Sleep, Power, Volume, Start, Shortcut, Esc, Tab, Insert, Home, End, Delete, इत्यादि| ये कुंजियाँ नये ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ विशेष कार्यों के अनुरूप होती हैं|

 

मॉडिफायर कुंजियाँ (Modifier Keys)

इसमें तीन कुंजियाँ होती हैं, जिनके नाम SHIFT, ALT, CTRL हैं| इनको अकेला दबाने पर कोई खास प्रयोग नहीं होता हैं, परन्तु जब अन्य किसी कुंजी के साथ इनका प्रयोग होता हैं तो ये उन कुंजियो के इनपुट को बदल देती हैं| इसलिए ये मॉडिफायर कुंजी कहलाती हैं|

 

कर्सर कुंजियाँ (Cursor Keys)

ये चार प्रकार की Keys होती हैं UP, DOWN, LEFT तथा RIGHT | इनका प्रयोग कर्सर को स्क्रीन पर मूव कराने के लिए किया जाता है|

 

की-बोर्ड के प्रकार

  • साधारण कीबोर्ड (Normal Keyboard)

  • तार रहित की-बोर्ड (Wireless Keyboard)

  • अरगानोमिक की-बोर्ड (Ergonomic Keyboard)

साधारण कीबोर्ड

साधारण कीबोर्ड वे कीबोर्ड होते हैं, जो सामान्य रूप से प्रयोग (Use) किये जाते हैं, जिसे User अपने PC में प्रयोग करता हैं | इसका आकार आयताकार होता है, इसमें लगभग 108 Keys होती हैं एवं इसे Computer से Connect करने के लिए एक Cable होती हैं जिसे CPU से जोडा  जाता हैं|

 

तार रहित की-बोर्ड

तार रहित की-बोर्ड (Wireless Keyboard) प्रयोक्ता (User) को की- बोर्ड में तार के प्रयोग से छुटकारा दिलाता है | कुछ कंपनियों ने तार रहित की-बोर्ड का बाजार में प्रवेश कराया है| यह की-बोर्ड सीमित दूरी तक कार्य करता है| यह तार रहित की-बोर्ड थोडा महँगा होता है तथा इसमें थोड़ी तकनीकी जटिलता होती है| इसमें तकनीकी जटिलता होने के कारण इसका प्रचलन बहुत अधिक नहीं हो पाया है|

अरगानोमिक की-बोर्ड

बहुत सारी कंपनियों ने एक खास प्रकार के की-बोर्ड का निर्माण किया है, जो प्रयोक्ता (User) को टाइपिंग करने में दूसरे की-बोर्ड की अपेक्षा आराम देता है| ऐसे की-बोर्ड अरगानोमिक की-बोर्ड (Ergonomic Keyboard)  कहलाते है ऐसे की-बोर्ड विशेष तौर पर प्रयोक्ता (User) की कार्य क्षमता बढाने के साथ साथ लगातार टाइपिंग करने के कारण उत्पन्न होने वाले कलाई (Wrist) के दर्द को कम करने में सहायता देता है |

 

माउस (Mouse)

वर्तमान समय में माउस सर्वाधिक प्रचलित Pointer Device है, जिसका प्रयोग चित्र या ग्राफिक्स (Graphics) बनाने के साथ साथ किसी बटन (Button) या मेन्यू (Menu) पर क्लिक करने के लिये किया जाता है | इसकी सहायता से हम की-बोर्ड का प्रयोग किये बिना अपने पी.सी. को नियंत्रित कर सकता है |

माउस में दो या तीन बटन होते है जिनकी सहायता से कंप्यूटर को निर्देश दिये जाते है| माउस को हिलाने पर स्क्रीन पर Pointer Move करता है| माउस के नीचे की ओर रबर की गेंद (Boll)  होती है| समतल सतह पर माउस को हिलाने पर यह गेंद घुमती है|

 

माउस के कार्य:-

  • क्लिकिंग (Clicking)

  • डबल क्लिकिंग (Double Clicking)

  • दायाँ क्लिकिंग (Right Clicking)

  • ड्रैगिंग (Dragging)

  • स्क्रोलिंग (Scrolling)

माउस के प्रकार:-

माउस प्रायः तीन प्रकार के होते है |

  1. मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)

  2. प्रकाशीय माउस (Optical Mouse)

  3. तार रहित माउस (Cordless Mouse)

मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)

मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse) वे माउस होते है| जिनके निचले भाग में एक रबर की गेंद लगी होती है जब माउस को सतह पर घुमाते है तो वह उस खोल के अंदर घुमती है माउस के अंदर गेंद के घूमने से उसके अंदर के सेन्सर्स (Censors) कंप्यूटर को संकेत (Signal) देते है|

 

प्रकाशीय माउस (Optical Mouse)

प्रकाशीय माउस (Optical Mouse) एक नये प्रकार का नॉन मैकेनिकल (non-mechanical) माउस है | इसमें प्रकाश की एक पुंज (किरण) इसके नीचे की सतह से उत्सर्जित होती है जिसके परिवर्तन के आधार पर यह ऑब्जेक्ट (Object) की दूरी, तथा गति तय करता है |

 

 तार रहित माउस (Cordless Mouse)

तार रहित माउस (Cordless Mouse) वे माउस है जो आपको तार के झंझट से मुक्ति देता है| यह रेडियो फ्रीक्वेंसी (Radio frequency) तकनीक की सहायता से आपके कंप्यूटर को सूचना कम्युनिकेट (Communicate) करता हैं| इसमें दो मुख्य कम्पोनेंट्स ट्रांसमीटर तथा रिसीवर होते है ट्रांसमीटर माउस में होता है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (Electromagnetic) सिग्नल (Signal) के रूप में माउस की गति तथा इसके क्लिक किये जाने की सूचना भेजता है रिसीवर जो आपके कंप्यूटर से जुड़ा होता है उस सिग्नल को प्राप्त करता है |

 

जॉयस्टिक (Joystick)

यह डिवाइस (Device) वीडियो गेम्स खेलने के काम आने वाला इनपुट डिवाइस (Input Device)  है इसका प्रयोग बच्चो द्वारा प्रायः कंप्यूटर पर खेल खेलने के लिये किया जाता है| क्योकि यह बच्चो को कंप्यूटर सिखाने का आसान तरीका है| वैसे तो कंप्यूटर के सारे खेल की-बोर्ड द्वारा खेले जा सकते है परन्तु कुछ खेल तेज गति से खेले जाते है उन खेलो में बच्चे अपने आप को सुबिधाजनक महसूस नहीं करते है इसलिए जॉयस्टिक का प्रयोग किया जाता है |

 

ट्रैकबाल (Trackball)

ट्रैक बोंल एक Pointing input Device है| जो माउस (Mouse) की तरह ही कार्य करती है | इसमें एक उभरी हुई गेंद होती है तथा कुछ बटन होते है| सामान्यतः पकड़ते समय गेंद पर आपका अंगूठा होता है तथा आपकी उंगलियों उसके बटन पर होती है| स्क्रीन पर पॉइंटर (Pointer) को घुमाने के लिये अंगूठा से उस गेंद को घुमाते है ट्रैकबोंल (Trackball) को माउस की तरह घुमाने की आवश्यकता नहीं होती इसलिये यह अपेक्षाकृत कम जगह घेरता है | इसका प्रयोग Laptop, Mobile तथा Remold में किया जाता हैं |

 

 लाइट पेन (Light Pen)

लाइट पेन (Light Pen) का प्रयोग कंप्यूटर स्क्रीन पर कोई चित्र या ग्राफिक्स बनाने में किया जाता है लाइट पेन में एक प्रकाश संवेदनशील कलम की तरह एक युक्ति होती है| अतः लाइट पेन का प्रयोग ऑब्जेक्ट के चयन के लिये होता है| लाइट पेन की सहायता से बनाया गया कोई भी ग्राफिक्स कंप्यूटर पर संग्रहित किया जा सकता है तथा आवश्यकतानुसार इसमें सुधार किया जा सकता है |

 

 टच स्क्रीन (Touch Screen)

टच स्क्रीन (Touch Screen) एक Input Device है| इसमें एक प्रकार की Display होती है| जिसकी सहायता से User किसी Pointing Device की वजह अपनी अंगुलियों को स्थित कर स्क्रीन पर मेन्यू या किसी ऑब्जेक्ट का चयन करता है| किसी User को कंप्यूटर की बहुत अधिक जानकारी न हो तो भी इसे सरलता से प्रयोग किया जा सकता है | टच स्क्रीन (Touch Screen) का प्रयोग आजकल रेलवेस्टेशन, एअरपोर्ट, अस्पताल, शोपिंग मॉल, ए.टी.ऍम. इत्यादि में होने लगा है |

 

बार-कोड रीडर (Bar code reader)

बार-कोड रीडर (Bar code reader) का प्रयोग Product के ऊपर छपे हुए बार कोड को पढ़ने के लिये किया जाता है किसी Product के ऊपर जो Bar Code बार-कोड रीडर (Bar code reader) के द्वारा उत्पाद की कीमत तथा उससे सम्बंधित दूसरी सूचनाओ को प्राप्त किया जा सकता हैं|

 

 स्कैनर (Scanner)

स्केनर (Scanner) एक Input Device है ये कंप्यूटर में किसी Page पर बनी आकृति या लिखित सूचना को सीधे Computer में Input करता है इसका मुख्य लाभ यह है कि User को सूचना टाइप नहीं करनी पड़ती हैं|

 

ओ.एम.आर. (OMR)

ओ.एम.आर. (OMR) या ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader) एक ऐसा डिवाइस है जो किसी कागज पर पेन्सिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति और अनुपस्थिति को जांचता है इसमें चिन्हित कागज पर प्रकाश डाला जाता है और परावर्तित प्रकाश को जांचा जाता है| जहाँ चिन्ह उपस्थित होगा कागज के उस भाग से परावर्तित प्रकाश की तीव्रता कम होगी | ओ.एम.आर. (OMR) किसी परीक्षा की उत्तरपुस्तिका को जाँचने के लिये प्रयोग की जाती है| इन परीक्षाओं के प्रश्नपत्र में वैकल्पिक प्रश्न होते हैं |

 

 ओ.सी.आर. (OCR)

ऑप्टिकल कैरेक्टर रेकोग्निशन (Optical Character Recognition) अथवा ओ.सी.आर.(OCR) एक ऐसी तकनीक है | जिसका प्रयोग किसी विशेष प्रकार के चिन्ह, अक्षर, या नंबर को पढ़ने के लिये किया जाता है इन कैरेक्टर को प्रकाश स्त्रोत के द्वारा पढ़ा जा सकता हैं| ओ.सी.आर (OCR) उपकरण टाइपराइटर से छपे हुए कैरेक्टर्स, कैश रजिस्टर के कैरक्टर और क्रेडिट कार्ड के कैरेक्टर को पढ़ लेता हैं| ओ.सी.आर (OCR) के फॉण्ट कंप्यूटर में संग्रहित रहते है | जिन्हें ओ.सी.आर. (OCR) स्टैंडर्ड कहते हैं|

ए.टी.एम.(ATM)

स्वचालित मुद्रा यंत्र या ए.टी.एम. (Automatic Teller Machine) ऐसा यंत्र है जो हमे प्रायः बैंक में, शॉपिंग मौल में, रेलवे स्टेशन पर, हवाई अड्डों पर, बस स्टैंड पर, तथा अन्य महत्वपूर्ण बाजारों तथा सार्वजनिक स्थानों पर मिल जाता हैं| ए.टी.एम. की सहायता से आप पैसे जमा भी कर सकते है, निकाल भी सकते है, और बैलेंस भी चेक कर सकते है| ए.टी.एम. की सुबिधा 24 घंटे उपलब्ध रहती है|

 

एम.आई.सी.आर.(MICR)

मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकोग्निशन (Magnetic Ink Character Recognition) व्यापक रूप से बैंकिंग में प्रयोग होता है, जहाँ लोगो को चेकों की बड़ी संख्या के साथ काम करना होता हैं| इसे संक्षेप में एम.आई.सी.आर.(MICR) कहाँ जाता हैं| एम.आई.सी.आर (MICR) का प्रयोग चुम्बकीय स्याही (Megnatic Ink) से छपे कैरेक्टर को पढ़ने के लिये किया जाता हैं| यह मशीन तेज व स्वचलित होतीहैं साथ ही इसमें गलतियां होने के अवसर बिल्कुल न के बराबर होते हैं|

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